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तेल बंदरगाह पर केवल मिल रहा 89 रुपये प्रति लीटर. जल्द बढ़ेगा फिर से दूध के दाम. जानिए दूध और सरसों का कनेक्शन

सस्ते आयातित तेलों के दाम में आई ताजा गिरावट के बीच मंडियों में सरसों फसल की बढ़ती आवक के खपने की चिंताओं के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों तेल-तिलहन सहित ज्यादातर तेल-तिलहनों के भाव नरमी के साथ बंद हुए। मूंगफली तेल तिलहन सहित सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बनी रहीं। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में कोई घट बढ़ नहीं है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में आधा प्रतिशत की गिरावट है।

मात्र 89 रुपये प्रति लीटर रह गया भाव

सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों का कहर अभी बढ़ेगा क्योंकि सूरजमुखी तेल का दाम गिरावट के साथ 1,160 डॉलर प्रति टन रह गया है। बंदरगाहों पर इन तेलों के थोक दाम 89 रुपये लीटर बैठता है जो पहले कभी 200 रुपये लीटर के भाव बिक चुका है। शुल्कमुक्त होने तथा सोयाबीन तेल से सूरजमुखी तेल के दाम लगभग 100 डॉलर नीचे होने की वजह से देश में इसका भारी मात्रा में आयात हुआ है।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस स्थिति को संभालना होगा क्योंकि किसानों की उपज आसानी से बिक जायेगी और उन्हें अच्छे दाम मिलेंगे तभी आगे उनका तिलहन उत्पादन बढ़ाने का भरोसा मजबूत होगा और अगर सस्ते आयात की मार लगी तो देश के तिलहन उद्योग के बर्बादी के साथ किसानों का भरोसा भी लंबे समय के लिए टूट जाने का खतरा है।

दूध और हो सकता हैं महँगा

सूत्रों ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थ के लिए कुछ लोगों द्वारा गलत सूचनायें बाजार में फैलाने का चलन बढ़ा है कि तेल महंगा होने से मुद्रास्फीति बढ़ेगी आदि आदि। जबकि देशी तिलहन से मिलने वाले खल सस्ता होने के कारण दूध की लागत भी कम होती है और दूध, अंडे, दूध उत्पाद जैसी वस्तुएं खुदरा मुद्रास्फीति पर अधिक असर डालती हैं। तेल आयात करने से हमें खल की कमी बनी रहेगी और खल महंगा हुआ तो दूध भी महंगा होगा।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आयात शुल्क बढ़ाकर आयातित खाद्यतेलों के दाम बढ़ते भी हैं तो यह हमारे देशी तेल तिलहन उद्योग के साथ साथ देश के तिलहन उत्पादकों के लिए बेहतर ही होगा क्योंकि हमारे देशी तिलहन बाजार में खपेंगे तथा मुर्गीदाने के लिए डीआयल्ड केक (डीओसी) और मवेशी चारे के लिए खल भी हमें पर्याप्त मिलेगा।

बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

  • सरसों तिलहन – 5,685-5,735 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली – 6,775-6,835 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,550 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मूंगफली रिफाइंड तेल 2,540-2,805 रुपये प्रति टिन।
  • सरसों तेल दादरी- 11,875 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सरसों पक्की घानी- 1,915-1,945 रुपये प्रति टिन।
  • सरसों कच्ची घानी- 1,875-2,000 रुपये प्रति टिन।
  • तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

 

  • सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,950 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,700 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सीपीओ एक्स-कांडला- 8,880 रुपये प्रति क्विंटल।
  • बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।
  • पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,430 रुपये प्रति क्विंटल।
  • पामोलिन एक्स- कांडला- 9,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन दाना – 5,440-5,570 रुपये प्रति क्विंटल।
  • सोयाबीन लूज- 5,180-5,200 रुपये प्रति क्विंटल।
  • मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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