Ayodhyanagar.com जोशीमठ के 11 इलाक़े कभी धस सकते हैं. TVM मशीन गई थी खोदने ख़ुद धस गई ज़मीन में. 47 साल पहले ही आ गया था जानकारी - Gulfhindi12 https://www.highcpmrevenuenetwork.com/mdapdnqq1?key=f1c4131eeec9cc089e9e3a9e35ad128f https://www.highcpmrevenuenetwork.com/mdapdnqq1?key=f1c4131eeec9cc089e9e3a9e35ad128f https://www.highcpmrevenuenetwork.com/mdapdnqq1?key=f1c4131eeec9cc089e9e3a9e35ad128f

Breaking News

जोशीमठ के 11 इलाक़े कभी धस सकते हैं. TVM मशीन गई थी खोदने ख़ुद धस गई ज़मीन में. 47 साल पहले ही आ गया था जानकारी

उत्तराखंड के जोशीमठ में धरती जगह-जगह धंस रही है. सैकड़ों घरों में दरारें आ गई हैं. हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि घर के घर कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं. जोशीमठ के लोग बुरी तरह सहमे हुए हैं.

इस घटना पर देश ही नहीं दुनियाभर के कई देशों के पर्यावरणविदों की नजर है. लोगों के बीच बस यही सवाल हो रहा है कि आखिर यहां धरती धंस क्यों रही है?

जोशीमठ में ही एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल में निर्माणकार्य चल रहा है. ऐसे में क्यों कहा जा रहा है कि इस टनल के कारण जोशीमठ में ऐसी घटनाएं हो रही हैं लेकिन NTPC ने तपोवन विष्णुगार्ड परियोजना में ब्लास्टिंग न कर TVM मशीन का उपयोग किया ताकि ब्लास्टिंग से होने वाला नुकसान जोशीमठ को प्रभावित न कर सके. काम तब तक ठीक तरह से चलता रहा जब तक TVM मशीन सुरंग बनाती रही लेकिन 2009 में सुरंग का 11 किमी. काम हो जाने के बाद TVM खुद जमीन में धंस गई.

24 सितंबर 2009 को पहली बार टीवीएम अटकी. इसके बाद इस मशीन से 6 मार्च 2011 में फिर से काम शुरू हुआ. 1 फरवरी 2012 को फिर बंद हुई, 16 अक्टूबर 2012 को फिर शुरू हुई लेकिन 24 अक्टूबर 2012 को फिर बंद हुई. इसके बाद 21 जनवरी 2020 में 5 दिन टीवीएम चली. उसने करीब 20 मीटर तक सुरंग को काटा इसके बाद से वह बंद है. एनटीपीसी के इस प्रोजेक्ट के अलावा जोशीमठ में हेलंग मारवाड़ी बाईपास का भी विरोध हो रहा है.

मोरेन पर बसाेहोने के कारण अतिसंवेदनशील है जोशीमठ

दरअसल मिश्रा आयोग की रिपोर्ट ने 1976 में कहा था कि जोशीमठ की जड़ पर छेड़खानी जोशीमठ के लिए खतरा साबित होगा. इस आयोग द्वारा जोशीमठ का सर्वेक्षण करवाया गया था, जिसमें जोशीमठ को एक मोरेन में बसा हुआ बताया गया (ग्लेशियर के साथ आई मिट्टी) जो कि अति संवेदनशील माना गया था. रिपोर्ट में जोशीमठ के निचे की जड़ से जुड़ी चट्टानों, पत्थरों को बिल्कुल भी न छेड़ने के लिए कहा गया था. वहीं यहां हो रहे निर्माण को भी सीमित दायरे में समेटने की गुजारिश की गई थी, लेकिन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी.

जोशीमठ में एक ओर जहां NTPC की 520 मेगावॉट की परियोजना पर काम चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर हेलंग मारवाड़ी बाईपास का निर्माण भी शुरू हो गया है. ऐसी परियोजनाओं को रोकने के लिए कई बड़े आंदोलन भी किए गए थे लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया. इसी दौर में जोशीमठ में नए सिरे से जमीन धंसने की घटना शुरू हो गई है.

हालांकि बाईपास का निर्माण अभी 2 से 3 महीने पहले ही शुरू हुआ है लेकिन एनटीपीसी परियोजना का निर्माण कार्य वर्षों से चल रहा है. 2021 की आपदा के बाद जोशीमठ में अक्टूबर 2021 से अचानक जमीन धंसने की घटना देखने को मिल रही है. भू-धंसाव से धरती फट रही है, मकानों में दरार आ रही है.

मिश्रा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये दिए थे सुझाव

जोशीमठ में 70 के दशक में चमोली में आई सबसे भीषण तबाही बेलाकुचि बाढ़ के बाद से लगातार भू-धंसाव की घटनाएं सामने आती रही हैं. तब चमोली यूपी का हिस्सा हुआ करता था. जमीन धंसने की घटनाएं सामने आने के बाद यूपी सरकार ने गढ़वाल कमिश्नर मुकेश मिश्रा को आयोग बनाकर सर्वे कराने का आदेश दिया. 1975 में गढ़वाल कमिश्नर मुकेश मिश्रा ने एक आयोग का गठन किया. इस ही मिश्रा आयोग कहा गया. इसमें भू-वैज्ञानिक, इंजीनियर, प्रसाशन के कई अधिकारियों को शामिल किया गया. एक साल के बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी.

इस रिपोर्ट में कहा गया कि जोशीमठ एक रेतीली चट्टान पर स्थित है. जोशीमठ की तलहटी में कोई भी बड़ा काम नहीं किया जा सकता. ब्लास्ट, खनन सभी बातों का इस रिपोर्ट में जिक्र था. बताया गया था कि बड़े-बड़े निर्माण या खनन न किया जाएं और अलकनंदा नदी किनारे सुरक्षा वॉल बनाई जाए, यहां बहने वाले नालों को सुरक्षित किया जाए लेकिन रिपोर्ट को सरकार ने दरकिनार कर दिया, जिसका नतीजा आज सामने है.

अब इन क्षेत्रों में संकट

अब चिंता की बात यह है कि यह भू-धंसाव जोशीमठ की तलहटी से जोशीमठ मुख्य बड़ी आबादी वाले क्षेत्र में पहुंच गया है. स्थानीय जानकार बताते हैं कि जोशीमठ के लिए आपदा की आशंका हमेशा से ही रही है क्योंकि जोशीमठ की तलहटी पर सालों से भूस्खलन हो रहा है. जोशीमठ के स्योमां, खोन जैसे गावं दशकों पहले ही खाली कर दिए गए हैं. वहीं अब जोशीमठ के गांधी नगर, सुनील का कुछ क्षेत्र, मनोहर बाघ, रविग्राम, गौरंग, होसी, जिरोबेंड, नसरसिंघ मंदिर के नीचे, सिंह धार के इलाके में लगातार भू धंसाव जारी है.

Permalink: जोशीमठ के 11 इलाक़े कभी धस सकते हैं. TVM मशीन गई थी खोदने ख़ुद धस गई ज़मीन में. 47 साल पहले ही आ गया था जानकारी
Read more article on https://gulfhindi.com



from GulfHindi https://ift.tt/lP6nQfj

No comments